जानिए 1800 साल पहले भारत कैसा था ?

अगर अंग्रेजों के भारत आने की बात करें तो उन्होंने 16वीं शताब्दी में ही भारत में दस्तक दे दी थी आपको जानकर हैरानी होगी कि जब शाहजहां ताजमहल बना रहा था तब दूसरी तरफ अंग्रेज भारत में पैर पसारने की कोशिश कर रहे थे इसके बाद भारत में छोटे-बड़े कई राजाओं के अलावा दो बड़ी ताकतें बची थी एक थी औरंगजेब की मुगलिया सल्तनत और दूसरी थी मराठा साम्राज्य। अंग्रेजों ने इंतजार किया कि यह दोनों आपस में लड़े अंग्रेजों ने कई प्रयतन भी किए और इसके सालों बाद अंग्रेज धीरे-धीरे विभिन्न जगहों पर भारत के सत्ता में आने लगे और उनकी मंशा कामयाब होने में 100 सालों से भी ज्यादा साल लग गए और ऐसे साल आया (1800) अट्ठारह सौ का। तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल मे जानते है की साल 1800 सो मे भारत कैसा था।
इस समय भारत या दुनिया में भी कोई बड़ी टेक्नोलॉजी नहीं हुआ करती थी हमारे यहां अधिकांश लोग धोती और गमछा पहना करते थे और बहुत अमीर लोग कुर्ता पहन लिया करते थे बाद में अंग्रेजों की शर्ट और टी-शर्ट को भी कुर्ता ही कहा जाने लगा आज भी अगर आप उत्तर प्रदेश या पश्चिम बिहार में जाए तो कुछ वरिष्ठ लोग शर्ट और टी-शर्ट को कुर्ता ही कहते हैं उस समय ज्यादातर जगहों पर भीड़ भाड़ नहीं हुआ करती थी पूरे भारत में करीब 16 करोड ही लोग थे और यहां पर पूरा भारत यानी कि अखंड भारत भारत पाकिस्तान बांग्लादेश वर्मा और
अफगानिस्तान से मिलकर बना था। यानी आज के इन पांच देशों के विस्तार में सिर्फ 16 करोड लोग ही रहा करते थे उस समय भारत में बहुत ज्यादा प्रोफेशर नहीं हुआ करते थे अधिकांश लोग तो किसान ही हुआ करते थे जो पूरा दिन खेती-बाड़ी और पशु पालन करते थे और शाम को अपने घरों में आकर भजन-कीर्तन और सत्संग किया करते थे और रात में जल्दी जल्दी सो जाते थे और सुबह फिर से जल्दी उठ जाते थे यही भारत के ज्यादातर लोगों का नित्यक्रम हुआ करता था जब लाइट नहीं थी इसलिए शाम को भजन या ईश्वर पूजा करने में बाधा ना आए इसलिए दिये जलाये जाते थे। कुछ लोग
1800 साल पहले भारत कैसा था: दूसरे कामों को भी संभालते थे जैसे कि कुम्हार , धोभी, सुधार, सोनी यह सब । लेकिन जब इनका भी दिन खत्म हो जाता था तो शाम को यह यही नित्यक्रम अपनाते थे। यह तो हुई गांव के बात और उस समय इतने गांव थे कि गांव ही भारत को रिप्रेजेंट करते थे शहर बहुत कम हुआ करते थे और शहरों की बात करें तो ज्यादातर लोग मीलों में मजदूरी का काम किया करते थे उस समय लोगों का काम बहुत मेहनत का काम हुआ करता था क्योंकि उस समय ना तो बिजली थी और ना ही आज की कोई आधुनिक टेक्नोलॉजी भारत मे बिजली 1780 में आई और इस साल में भारत में बिजली की शुरुआत हुई।
लेकिन भारत के गांव-गांव बिजली पहुंचने में और कई साल लग गए एक डाटा के अनुसार सन अट्ठारह सौ के आसपास एक यूरोपियन क्लर्क की सैलरी 40 पाउंड थी और वह ही एक आम इंडियन की तनखा 40 गुना कम थी और उस इससे आप अंदाजा लगा सकते हो कि भारतीय किसानों की क्या आई रही होगी। ऊपर से किसान हर साल बाढ़ सूखे पर लगान के मार्ग मिलते थे उस समय कुछ अमीर लोग भी हुआ करते थे। जिनमें से सब नहीं लेकिन कुछ लोग हमेशा यह फिराक में रहते थे कि कैसे करके अंग्रेजों के साथ उनकी दोस्ती हो जाए।
कुछ अमीर अपनी सूझबूझ के माध्यम से ठीक ठाक पैसे कमा लेते थे आज के समय में बीमारियां आम हो गई हैं लेकिन उस वक्त भी कई बीमारियां मौजूद थी जब कॉलेरा और प्लेग आम थे। इन बीमारियों की दवाई भी नहीं थी पर इनके सामने लोग बेबस थे।
एजुकेशन की बात करें तो उस वक्त 10% से भी कम भारतीय पुरुष पढ़े लिखे थे और 1% परसेंट से भी कम महिलाएं। और इनमे से ज्यादातर आंकड़ा शहरों का ही है गांव में इससे भी बदतर हालत थी पर हालांकि ऐसा नहीं था कि बिना पढ़े लिखे लोग स्किल्ड नहीं थी वह लोग स्किल्ड भी थे और अपने कई कामों में माहिर भी थे लेकिन कम पढ़े लिखे होने के कारण लगान जैसी चीजों में डील नहीं कर सकते थे।
भारत के लोग उस वक्त पैसों से चीजें खरीदने और बेचने के बजाय एक्सचेंज व्यापार करते थे। जैसे एक मटके के बदले 6 किलो चावल 5 किलो आटे के बदले 5 किलो दाल। ज्यादातर गांव में ऐसे ही व्यापार होता था सामान के बदले सामान दे दिया जाता था। और ऐसे गांव में सभी लोगों के पास सब कुछ पहुंच जाया करता था और खासकर गांव से अनाज बाहर बेचने को जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी ।
दोस्तो 18 वी शताब्दी का भारत कुछ ऐसा था उस समय कुछ चीजें बहुत ही अच्छी थी तो कुछ बहुत ही खराब
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]