2022 गुड फ्राइडे क्यो मनाया जाता है ?

जानिए गुड फ्राइडे 2022 के बारे में और इसे क्यों मनाया जाता है, ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया गया था और वह कौन थे, गुड फ्राइडे कैसे मनाते हैं और इसका क्या महत्व है? वर्ष 2022 में गुड फ्राइडे 15 अप्रैल शुक्रवार 2022 के दिन मनाया जायेगा। गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह दिन शोक दिवस की भांति होता है। इस दिन शोक इसलिए प्रकट किया जाता है, क्योंकि गुड फ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को शारीरिक यातनाएं दी गई थी। इस दिन लोग कालेे रंग के कपडे पहन कर चर्च जाते हैं और शोक व्यक्त करते हैं। ईसा मसीह ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज की भलाई में न्योछावर कर दिया था। सदैव भलाई करने वाले जीजस का लोग बहुत आदर करते थे। इसी इर्शा के चलते उन पर अत्याचार किए गए थे। जिसके बाद उनको सूली पर चढ़ाया था। परन्तु वो कभी नहीं मरे हमेशा दिलो में जीवित है और रहेंगे।
ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह को भगवान के रूप में देखते हैं। इसलिए उनके द्वारा सहन की गई पीड़ा को याद करके वह इसदिन को शोक दिवस की तरह मनाते है। इस दिन जीजस ने अपने प्राण त्याग दिए थे, लेकिन उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसी कारण से इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। शांति के पुजारी की हत्या के रूप में शोक व्यक्त करके इस दिन को पूरे भारत एवं विश्व के कोने कोने में मनाया जाता है। भारत में भी ईसाई धर्म के लोगों की भारी संख्या है। इस दिन भारी मात्रा में लोग चर्च के इकट्ठा होते नज़र आते हैं। ईसाई धर्म में क्राॅस को प्रभु जीजन का प्रतीक माना जाता है और इसदिन इस प्रतीक को चूम कर उनको याद किया जाता है।
गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है?
ईसा मसीह स्वयं को भगवान का पुत्र मानते थे और लोगों की भलाई के लिए उनका मार्गदर्शन करते थे। यहूदियों के धर्मगुरुओं को इस बात से बहुत ईर्ष्या होती थी। रोमन गर्वन पिलातुस से कट्टरपंथी धर्मगुरुओं द्वारा शिकायत करने पर ईसा मसीह को शारीरिक यातनाएं दी गई थी। इस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया गया था। उनको सूली पर लटकाने के पीछे की कहानी बहुत ही रोचक है। इसके बारे में आपको हम आगे बताएंगे।
इस दिन मानवता, भाई चारा, शांति और एकता का संदेश देने के लिए इस दिन को ईसाई धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन जीजस को क्राॅस पर लटकाया गया था, लेकिन इतनी पीड़ा को सहन करने के बाद भी अपने मार्ग से भटके नहीं थे। बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए इसी क्राॅस का प्रयोग ईसाई धर्म में आज भी किया जाता है। इस क्राॅस को सत्यता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया गया था?
ईसाई धर्म के अनुसार लगभग दो हजार साल पहले ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया था। वह लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान बताते थे। इसी के साथ साथ वह अपने ज्ञान से लोगों का मार्गदर्शन करते थे। उन्होंने बुराई के अंधकार को खत्म कर अच्छाई प्रकाश लोगों पर डाला था।
ईसा मसीह के प्रति लोगों की श्रद्धा देखकर यहूदियों के अधिकतर धर्मगुरु उनसे ईष्र्या करते थे। ईसा मसीह स्वयं को भगवान का पुत्र बताते थे। उनकी यह बात यहूदी धर्मगुरुओं को एक बड़े पाप से कम नहीं लगती थी। कई बार कट्टरपंती धर्मगुरुओं ने ईसा मसीह का विरोध किया क्योंकि सोमनों को यहूदी क्रांति का भय बना लगता था। यहूदी धर्मगुरुओं ने मिलकर इस घटना की शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस से की। पिलातुस यहूदी धर्मगुरुओं का बहुत आदर करता था और उनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन करने का प्रयास करता था।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था लोकऔर मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)