5 चीज़ें जो मृत्यु के बाद भी रहती हैं आपके साथ

5 चीज़ें जो मृत्यु के बाद भी रहती हैं आपके साथ

आमतौर पर यहा कहा जाता है कि मृत्यु हो गई तो सब समाप्त हो गया। चिता के साथ ही सव स्वाहा हो गया। लेकिन हमारे वेद, पुराण, धर्मग्रंथ और दर्शन इस बात को नहीं मानते। इनके अनुसार चिता पर जलने पर तो केवल देह का अंत होता है। 5 चीजें ऐसी हैं जो शरीर के जल जाने पर भी शेष रह जाती है और आत्मा के साथ पंचतत्व में लीन हो जाती है। उचित समय आने पर आत्मा के साथ ये 5 चीजें फिर नए शरीर में प्रविष्ट हो जाती हैं।

कामना

कामना मनुष्य और दूसरे जीवों को फिर से नए शरीर को धारण करने में सहयोग करती है। कामना के अनुसार ही मनुष्य को अपना नया शरीर मिलता है। मृत्यु के समय मनुष्य जिन-जिन चीजों को सोचता है वह कामना उसके साथ चली जाती है और उसकी पूर्ति के लिए फिर से जीव से शरीर में लौटना पड़ता है। इसलिए धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि मृत्यु करीब आने पर सब चीजों की इच्छा त्याग करके ब्रह्म का ध्यान करना चाहिए। अगर कामना लिए चले गए तो फिर नए शरीर में लौटना पड़ेगा।

वासना
कामना का साथी वासना है। यह ऐसी चीज है जिसका कोई अंत नहीं है। मृत्यु शैय्या पर भी लोग वासना से मुक्त नहीं हो पाते हैं। सांसारिक सुख की चाहत ही वासना है। मनुष्य मरते समय भी अपने जीवनसाथी, बच्चों, परिवारजनों के बारे में सोचता रहता है। उनसे मिलने वाले सुख-दुख को सोचता रहता है। अधूरी चाहतों को लेकर छटपटता रहता है। इसी छटपटाहट में उसके प्राण निकल जाते हैं। विष्णु पुराण में राजा भरत की कहानी है, उसकी चाहत उसके प्यारे हिरण के बच्चे में थी। उसे सोचते हुए राजा के प्राण निकल गए। अगले जन्म में राजा को स्वयं हिरण रूप में जन्म लेना पड़ा। इसलिए कामना और वासना को मृत्यु के करीब आने पर मन पर हावी ना होने दें।

कर्म
मनुष्य जीवन भर कर्म करता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा। गीता में कहा गया है कि कोई भी मनुष्य बिना कर्म किए एक पल भी नहीं रह सकता। मृत्यु करीब आने पर आत्मा शरीर द्वारा किए गए कर्मों की स्मृति को समेट लेती है। ये कर्म ही मनुष्य को परलोक में सुख और दुख देते हैं और इन्हीं के परिणाम से अगले जन्म में अच्छा बुरा फल प्राप्त होता है। कर्म की गति तो ऐसी है कि 7 जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ती है। महाभारत में इसका अच्छा उदाहरण मिलता है। बाणों की शैय्या पर लेटे हुए भीष्म ने जब श्रीकृष्ण से पूछा कि मुझे ऐसी मृत्यु क्यों प्राप्त हुई है तो श्रीकृष्ण ने उन्हें 7 जन्म पूर्व की घटना याद दिलाई। 7 जन्म पूर्व भीष्म ने एक अधमरे सांप को उठाकर नागफनी के कांटों पर फेंक दिया था।

कर्ज
किसी से कर्ज लें तो उसे मरने से पहले जरूर चुका देना चाहिए। लिया गया कर्ज और दिया गया कर्ज दोनों ही जन्म-जन्मांतर तक पीछा नहीं छोड़ता है। गरुड़ पुराण में लिखा है कि कर्ज लेकर मरने पर कर्जदाता जब परलोक में आता है तो अपना कर्ज का धन वापस मांगता है। उस समय यम के दूत कर्ज लेकर मरने वाले का मांस काटकर कर्जदाता को देता है। लेकिन कर्ज का बोझ यहीं नहीं उतरता है। अगले जन्म में भी कर्ज पीछा करता है और उसे किसी ना किसी रूप में चुकाना पड़ता है।

पुण्य
पुराणों में बताया गया है कि आपके द्वारा किया गया दान, परोपकार का पुण्य कई जन्मों तक साथ चलता है। जीवन में जब कभी कोई अपरिचित आपकी मदद करे तो यह समझ लीजिए कि वह आपके पूर्वजन्म का पुण्य चुका गया है। शास्त्रों में दान पुण्य को बैंक में रखे धन की तरह कहा गया है जो बुरे वक्त में समय-समय पर काम आता है। इसलिए मनुष्य को पुण्य रूप धन को जीवन भर जमा करते रहना चाहिए। अक्षय तृतीया, अक्षय नवमी, माघ पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, गंगा दशहरा, मकर संक्रांति कुछ ऐसे दिन है जिनमें किया गया दान पुण्य कई जन्मों तक व्यक्ति को सुख देता है।

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)

[ डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

kavya krishna

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