कब है सौभाग्य सुंदरी व्रत, जानें शुभ समय और पूजा विधि

कब है सौभाग्य सुंदरी व्रत, जानें शुभ समय और पूजा विधि

सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस व्रत के पुण्य से व्यक्ति को सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आज सोमवार भी है तो भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम दिन है. आज

आज मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है. आज सर्वार्थ सि​द्धि योग और शुभ योग में सौभाग्य सुंदरी व्रत है. आज भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस व्रत के पुण्य से व्यक्ति को सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आज सोमवार भी है तो भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम दिन है. आज सर्वार्थ सि​द्धि योग, शुभ योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है. आज सुबह से लेकर रात तक भद्रा है. सौभाग्य सुंदरी व्रत महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है. कहा जाता है कि जो भी महिला इस दिन देवी पार्वती की पूजा करने से बहुत लाभ होता है. मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां अर इस व्रत को करती हैं तो उन्हें अच्छा वर मिलता है. सौभाग्‍य का अर्थ है सौभाग्‍य और सौंदर्य का अर्थ है एक सुंदर पति, जो सभी ओर से सुंदर हो- आंतरिक रूप से और साथ ही बाह्य रूप से भी. आइए आपको बताते हैं सौभाग्‍य सुंदरी व्रत के बारे में सबकुछ.

आज का शुभ समय
साध्य योग: सुबह 06 बजकर 46 मिनट से शुभ योग
अभिजित मुहूर्त: सुबह11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 06:49 बजे से सुबह 10:44 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 49 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 35 मिनट तक
अमृत काल: देर रात 02 बजकर 29 मिनट से कल सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक

सौभाग्य सुंदरी व्रत की कथा
भव्य पुराण की कथा के अनुसार, देवी सती ने अपने पिता की बातों से चिढ़कर, अपने शरीर का त्याग किया था. उन्होंने अपने पिता से यह वादा किया कि वह हर जन्म में हमेशा शिव की पत्नी के रूप में वापस आएंगी. इस प्रकार, जब उन्होंने अपना अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया, तो उन्होंने उस विशेष जन्म में भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की. सौभग्य सुंदरी व्रत देवी पार्वती-सती-दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है. इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं.

सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके अच्छे कपड़े पहनती हैं और 16 श्रृंगार करती हैं. इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार में मेहंदी लगाती हैं, सिंदूर, मांग टीका, काजल, हार, कान की बाली, हाथों में चूड़ियां, बालों में गजरा, कमरबंद, पैरों में पायल और खुशबू के लिए परफ्यूम का इस्तेमाल करती हैं.

सौभाग्य सुंदरी व्रत पूजा विधि
इस दिन पार्वती और शिव की मूर्तियों को सौभग्य सुंदरी व्रत के दिन लाल कपड़े में लपेटे हुए लकड़ी के टेबल पर रखा जाता है. एक बार जब महिला श्रृंगार कर लेती हैं तो उस लकड़ी के टेबल पर लाल कपड़े को बिछाते हैं, जो पहले मूर्तियों को लपेटने के लिए इस्तेमाल किया गया था. मूर्तियों को लकड़ी के टेबल के ऊपर रखा जाता है. इसके बाद सुपारी पत्ते के ऊपर सुपारी रखकर शिव और पार्वती जी की मूर्ति के बीच रखें. यह दिल के आकार का पत्ता आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक माना जाता है और सुपारी मानसिक संबंधों का प्रतीक माना जाता है.

देवी को कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं और इसमें मोली, कुमकुम (सिंदूर), रोली (रंग), चवाल के साथ-साथ सुपारी और सुपारी पत्ता भी शामिल हैं. सौभाग्‍य सुंदरी व्रत के दौरान, दुर्गा और शिव की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. पार्वती जी की मूर्ति को 16 श्रृंगार से सजाया जाता है और 9 ग्रहों की पूजा के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती की एक साथ पूजा की जाती है

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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