बहुत रहस्यमयी है यह महल, यहां रोज आते हैं कृष्ण, छोड़ जाते हैं निशानियां,

मथुरा। ब्रजभूमि में कई ऐसी जगह हैं, जो लोगों के बीच सदियों से आस्था का केंद्र रही हैं। इनमें से कई जगहें चमत्कारों से भरी हैं। ऐसी ही एक जगह है वृंदावन का निधिवन, जिसके बारे में मान्यता हैं कि यहां हर रात भगवान श्री कृष्ण, गोपियों संग रासलीला करते हैं। जिन लोगों ने भी यह रासलीला देखनी चाही, वो या तो पागल हो गए या फिर उनकी मौत हो गई। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को शाम की आरती के बाद बंद कर दिया जाता है। इसके बाद यहां कोई नहीं रहता। दिन में निधिवन में कोलाहट करने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते हैं। निधिवन में एक महल है, ‘रंग महल’.. इसकी छत के नीचे ही श्रीकृष्ण एवं गोपियों के लिए शाम को भोग रखा जाता है, जो सुबह होने पर दिखाई नहीं देता। ऐसे में कहा जाता है कि कान्हा निशानियां भी छोड़ जाते हैं।
रात होने से पहले ही सब वन से चले जाते हैं
निधिवन के मुख्य गोसाईं भीख चंद्र गोस्वामी के अनुसार, यह तो शास्त्रों में भी वर्णित है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में ही गोपियों के साथ रासलीला की थी। किंतु, निधिवन के बारे में यह मान्यताएं रही हैं कि रोज रात श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रासलीला रचाते हैं। शरद पूर्णिमा की रात, निधिवन में प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहता है। दिन में श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं, कोई रोक नहीं है। मगर, शाम होते ही निधिवन को खाली करा दिया जाता है। ऐसा सिर्फ निधिवन ही नहीं, बल्कि थोड़ी दूर स्थित सेवाकुंज में भी होता है। वहां भी कृष्ण के रास रचाने की मान्यता हैं, जहां राधा रानी का प्राचीन मंदिर है।
राधा कृष्ण के बैठने के लिए सजाते हैं सेज
‘रास मंडल’ से जुड़े पुजारी बताते हैं कि निधिवन के अंदर बने महल में रासलीला की मान्यता रही हैं। हजारों साल से श्रद्धालुओं में ऐसा विश्वास रहा है कि ‘रंग महल’ में रोज रात को कन्हैया आते हैं। यहां रखे गए चंदन के पलंग को शाम 7 बजे से पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह देखते हैं तो लोटा खाली मिलता है। पान भी नहीं मिल पाता।
छिपकर रासलीला देखने की चाहत थी, खो बैठा मानसिक संतुलन
करीब डेढ़ दशक पहले संतराम नामक एक राधा-कृष्ण का भक्त था, जो जयपुर से वृंदावन आया था। उसने निधिवन के बारे में सुना था, हरि के भक्ति में वह इतना खो गया कि उसने रात में कान्हा की रासलीला देखने की ठान ली। वह चुपके से निधिवन में छिपकर बैठ गया। मगर, सुबह जब मंदिर के पट खुले तो वह बेहोश पड़ा मिला। उसे जब होश आया तो लोगों ने देखा कि वह अपना मानसिक संतुलन खो चुका था। इससे पहले यहां कुछ लोगों की मृत्यु हो जाने की बातें भी बताई जाती हैं।
तुलसी, मेंहदी जैसे पवित्र पेड़ हैं पूरे निधिवन में
निधि वन एक वन जैसा ही है, जिसमें तुलसी और मेंहदी के पेड़ ज्यादा हैं। ये सामान्य तुलसी के पौधों से एकदम अलग हैं। आकार में बड़े हैं और साथ ही इन पेड़ों की शाखाएं जमीन की ओर आती हैं।
जमीन की ओर अपना रुख मोड़ लेती हैं डालें
इतना ही नहीं, यहां तुलसी के पेड़ जोड़ों में हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब रात में रास होता है तो ये सभी पेड़ ही गोप-गोपियां के रूप में आ जाते हैं। इसलिए, यहां लगे वृक्षों की डालें ऊपर की तरफ बढ़ने की बजाए जमीन की ओर अपना रुख मोड़ लेती हैं
लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है
जैसा कि बताया जा चुका है कि हर शाम को पुजारी राधा-कृष्ण के बैठने के लिए सेज सजाते हैं और भोग रख जाते हैं। उस रात के बाद सुबह 5 बजे जब ‘रंग महल’ के पट खुलते हैं तो सेज अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है।
ये है रास मंडल, इसी के अंदर रास रचाते हैं कान्हां
ऐसे में किवदंतियां हैं कि रात के समय जब कान्हां यहां आते हैं तो राधा जी ‘रंग महल’ में श्रृंगार करती हैं। जबकि, कान्हा चंदन के पलंग पर आराम करते हैं। फिर, गोप-गोपियों के संग दोनों ‘रंग महल’ के पास बने ‘रास मंडल’ में रास रचाते हैं।
ये हैं अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल
मथुरा जिले में वृंदावन के अलावा भूतेश्वर महादेव, ध्रुव टीला, कंस किला, अम्बरीथ टीला, कंस वध स्थल, पिप्लेश्वर महादेव, बटुक भैरव, कंस का अखाड़ा, पोतरा कुंड, गोकर्ण महादेव, बल्लभद्र कुंड, महाविद्या देवी मंदिर आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]