भारत के प्राचीन मंदिरों के पीछे का रहस्य | भारत के 5 रहस्यमयी मंदिर

भारत के प्राचीन मंदिरों के पीछे का रहस्य | भारत के 5 रहस्यमयी मंदिर

मित्रों! लेख के इस भाग में मेँ आप लोगों को भारत में स्थित कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताऊंगा जिसके बारे में आप लोगों ने शायद ही कुछ सुना होगा, क्योंकि इन मंदिरों के रीति-रिवाज और मान्यताएँ भी कुछ हट कर हैं। तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इन मंदिरों के बारे में जानते है।

1.अपने अनंत गलियारे से सब को मोहित करने वाला “रामेश्वरम का मंदिर” :-
इस सूची में स्थित सबसे पहले मंदिर को देख कर आप खुद व खुद मोहित हो जाएंगे। क्योंकि इस मंदिर में मौजूद है एक भव्य गलियारा जिसे की “” भी कहा जाता है। तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित ये मंदिर देवों के देव “महादेव” जी को समर्पित है। इस मंदिर की सबसे खास बात इसके लंबे-लंबे तथा अनुपम कलाकारी से पूर्ण गलियारों में है।

इसके एक गलियारे में 1212 स्तंभ मौजूद है और हर एक स्तंभ इतने बारीकी से बनाया गया है की हर एक स्तंभ हूबहू एक समान ही दिखते है। बता दूँ की हर एक स्तंभ 30 फिट ऊंचा है और पूरे गलियारे की लंबाई लगभग 1.1 km है। तो, आप अंदाजा लगा ही सकते हैं की उस समय इस मंदिर को बनाने के लिए कितने कुशल कारीगर लगे होंगे।इसके अलावा रामेश्वरम का ये मंदिर चार धामों में से एक है इसलिए इसकी महत्व और अधिक है। शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी ये एक है।

 

2. “कामाख्या मंदिर”, देवी के मासिक धर्म के कारण हर साल 3 दिनों के लिए बंद रहता है मंदिर! :-
आसाम के नीलाचल पहाड़ी के ऊपर स्थित देवी कामाख्या जी का मंदिर अपने-आप में एक बहुत ही विशेष मंदिर है। पूरे भारत वर्ष से श्रद्धालु देवी जी के दर्शन के लिए आते है। वैसे ये मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है जो की बहुत ही ज्यादा प्राचीन है। कहा जाता है की, देवी सती जी की योनि (लाल साडी में आवृत) यहाँ पर आ कर गिरा था इसलिए यहाँ पर देवी जी को पूजने के लिए कोई मूर्ति नहीं है।

हर साल सावन के महीने में मासिक धर्म के कारण पूरे 3 दिनों के लिए ये मंदिर बंद रहता है। लोग कहते हैं की इसी समय मंदिर के गर्भ गृह का फर्श लाल रंग से रंगीन हो जाता है। वैसे जब तीन दिन के बाद मंदिर दुबारा खुलता है तो श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर देवी जी को लाल रंग का कपड़ा चढ़ाते है। ये मंदिर तंत्र साधना के लिए भी काफी ज्यादा परिचित है।

3. सबसे शांत और प्राकृतिक अनुभव देने वाला मंदिर “महाबोधि मंदिर” :-
बौद्ध धर्मावलंबीयों के लिए महाबोधि मंदिर बहुत ही ज्यादा मायने रखता है। वैसे सनातन धर्म के लोगों के लिए भी ये एक बहुत ही पवित्र स्थान है, क्योंकि इसी जगह ही “बुद्ध” जी को प्रबोधन मिला था। वैसे बता दूँ की, यहाँ पर मौजूद “महोदोधी बृक्ष” के नाम पर ही इस मंदिर का नाम पड़ा है। महाबोधि वृक्ष एक तरह से एक बहुत ही ज्यादा पवित्र पिपल का पेड़ है जिसके नीचे “बुद्ध” जी को प्रबोधन मिला था।

मित्रों! बता दूँ की बौद्ध धर्मावलंबीयों के अनुसार ये मंदिर पृथ्वी का नाभि है जहां से जीवन की उत्पत्ति हुई है और जब तक इस संसार में जीवन है तब तक ये मंदिर ऐसा ही रहेगा। जब कल युग का अंत होगा और पुनः जीवन की सृष्टि होगी तब फिर से इसी जगह से ही जीवन इस संसार में आएगी। मंदिर के अंदर एक विशाल सोने से बना बुद्ध जी की प्रतिमा है जो की नारंगी वस्त्र से आच्छादित है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण गुप्त काल में हुआ था।

 

4. शरीर से खून बहा कर देवी जी को किया जाता है पूजा, बड़ा प्रसिद्ध है ये देवी “भद्र काली जी की मंदिर”! :-
केरल में स्थित देवी भद्र काली जी की ये मंदिर इसके अनोखे रीति-रिवाजों के लिए काफी चर्चा में रहता है। हर साल यहाँ पर एक त्योहार होता है जो की देखने में काफी दिल दहला देने वाला है। मेरे ऐसा कहने का तात्पर्य ये है की, हर साल श्रद्धालु इस मंदिर में देवी जी को पूजा करने के लिए आते है और एक-एक तलवार ले कर जलसे में निकलते है। उसी दौरान ये लोग स्वतः तलवार को लेकर अपने सर-माथे या शरीर पर चोट मारते है जिससे खून की धारा निकलना स्वाभाविक है।

ये त्योहार पूरे सात दिनों के लिए होता है और इसी दौरान पूरा मंदिर खून के धब्बे और निशानों से भर जाता है। हर तरफ खून ही खून नजर आता है। इसलिए त्योहार के खतम होते-होते ही मंदिर को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है जिससे मंदिर की साफ-सफाई की जा सके। मित्रों! अगर आपको मौका मिले तो क्या आप इस त्योहार को देखने के लिए जाएंगे? कमेंट कर के जरूर बताइएगा।

5. औरंगाबाद का ये “कैलास मंदिर” बना हुआ है सिर्फ एक चट्टान से, लोगों के अनुसार परग्रहीयों के द्वारा किया गया है निर्मित:-
760 ईस्वी में बना “शिव जी” का ये मंदिर पूरे भारत में इसके अभूतपूर्व बनावट के लिए काफी ज्यादा विख्यात है। राजा कृष्ण 1 जी के द्वारा बनवाया गया ये मंदिर सिर्फ और सिर्फ हाथ से ही बनाया गया है। उस समय इस मंदिर को बनाने के लिए हथोड़ा और छेनी का ही उपयोग किया गया था। वैसे बता दूँ की, पूरा का पूरा मंदिर सिर्फ एक ही चट्टान से काट कर बनाया गया है। तो, आप अंदाजा लगा सकते हैं की, इसको बनाने में कितनी मेहनत किया गया होगा। इसलिए लोग कहते हैं की, इसे कुशल परग्रहीयों के द्वारा बनाया गया है।

मंदिर का अंदरूनी हिस्सा काफी ज्यादा आकर्षक है और कई उन्नति शैली के चित्रकलाओं से भरा हुआ है। इसके अलावा मंदिर में स्थित स्तंभ कई रोचक वास्तुकला को आज भी प्रदर्शित कर रहें है। “एलोरा” का ये मंदिर पूरे तरीके से हाथों से निर्मित गुफाओं के अंदर है। पुराने समय में भी भारत के इन मंदिरों के कला स्थापत्य को देख कर आज भी हैरानी होती ही है।

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)

[ डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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