चांदी की अंगूठी पहनने के चमत्कारी फायदों के साथ जानें इसे कब और कैसे धारण करना होता है फलदायी

चांदी की अंगूठी पहनने के चमत्कारी फायदों के साथ जानें इसे कब और कैसे धारण करना होता है फलदायी

ज्योतिष शास्त्र काफी वृहत्त है। इसमें मनुष्य की हर समस्या का समाधान छिपा हुआ है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो अलग अलग धातुओं का अपना विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि चांदी भगवान भोलेनाथ के नेत्रों से उत्पन्न हुई। इस वजह से चांदी का इस्तेमाल केवल आभूषण के तौर पर नहीं, बल्कि कई परेशानियों के हल के तौर पर किया जाता है। ग्रह दोषों कू मुक्ति के साथ वैवाहिक संबंधों में सुधार और कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं में राहत मिलती है। आज इस लेख के माध्यम से जानते हैं चांदी की अंगूठी धारण करने के क्या फायदे हैं और इसे कब और कैसे पहनना चाहिए।

चंद्रमा की स्थिति होगी बेहतर
चांदी की अंगूठी का संबंध शुक्र और चंद्रमा ग्रह से जुड़ा हुआ है। यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है या अशुभ ग्रहों के साथ हो तो उसे अपने दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली में चांदी की अंगूठी पहननी चाहिए।

मानसिक सुकून
चंद्रमा का सीधा प्रभाव व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर पड़ता है। चंद्रमा की स्थिति ठीक न रहने से दिमाग से जुड़े कार्य करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई लोग मस्तिष्क को तेज रखने के मकसद से चांदी की अंगूठी पहनते हैं। यह मानसिक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।

शुक्र ग्रह होगा मजबूत
यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी नहीं है तो घर परिवार में कलह बनी रहती है। हर बात में गुस्सा आता है और झगड़े की स्थिति पैदा हो जाती है। इन परेशानियों से बचने के लिए चांदी की अंगूठी धारण की जा सकती है। आप चाहें तो चांदी की चेन भी पहन सकते हैं।

बीमारियों से राहत
यदि कोई जातक जोड़ों के दर्द, खांसी, जुकाम, ऑर्थराईटिस की समस्या से परेशान है तो उसे चांदी की अंगूठी से काफी फायदा मिल सकता है। व्यक्ति की सेहत पर चांदी काफी सकारात्मक असर डालती है।

कब और कैसे धारण करें चांदी की अंगूठी
यदि आपके जीवन में चंद्रमा की स्थिति अच्छी न हो तो किसी से चांदी तोहफे के तौर पर लेने से बचें। हालांकि मां से उपहार में मिली चांदी आपकी किस्मत बदल सकती है।

यदि आप चांदी की अंगूठी पहनना चाहते हैं तो इसे आप रविवार अथवा गुरुवार के दिन सुनार की दूकान से खरीद कर ले आएं। अब रातभर एक कटोरी में दूध में इस अंगूठी को डालकर रखें। अगले दिन सोमवार अथवा शुक्रवार को आप अंगूठी को पानी से साफ़ कर लें। अब इसे मंदिर में रखें। आप सभी देवी और देवताओं का स्मरण करके अक्षत, चंदन, फूल व अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। धूप-अगरबत्ती व दीप जलाएं। पूजा के पश्चात् ही चांदी की अंगूठी को दाएं हाथ की सबसे छोटी उंगली में धारण कर लें।

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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