गरुड़ पुराण : हिन्दू धर्म की ये 7 बातें जो कड़वी है पर सच है !

हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण 18 पुराणों में से एक माना जाता है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और गरुड़ पक्षी के बीच का संवाद वर्णित है। गरुड़ पुराण के एक श्लोक में बताया गया है कि आखिर कौन-सी चीजों को देखने पर पुण्य मिलता है। जानिए उन चीजों के बारे में-
गोमूत्रं गोमयं दुन्धं गोधूलिं गोष्ठगोष्पदम्।
पक्कसस्यान्वितं क्षेत्रं द्ष्टा पुण्यं लभेद् ध्रुवम्।।
अर्थात- गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूली, गोशाला, गोखुर और पकी हुई खेती देखने से पुण्य मिलता है।
गोमूत्र- शास्त्रों के अनुसार, गोमूत्र में मां गंगा का वास होता है। इसे औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन गरुड़ पुराण में वर्णित है कि इसे देखने भर से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है।
गोबर- गाय का गोबर शुभ माना जाता है। पूजा-अर्चना और मांगलिक कार्य में इस्तेमाल किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, गाय का गोबर देखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
गोदुग्ध- गाय के दूध को अमृत समान माना जाता है। गाय के दूध का सेवन कर कई रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। गरुड़ पुराण कहता है कि गाय का दूध देखने से व्यक्ति को पुण्य मिलता है।
गोधूली- जब कोई गाय जमीन को खुरचकर धूल निकालती है उसे गोधूली कहते हैं। गाय के पैरों से खुरची मिट्टी को शुभ माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इसे देखने भर से पुण्य मिलता है।
गौशाला- गायों के रहने के स्थान को गौशाला कहा जाता है। गौशाला भी मंदिर की तरह पूजनीय माना जाता है। गौसेवा से व्यक्ति को पुण्य मिलता है। लेकिन गरुड़ पुराण में वर्णित है कि गौशाला के दर्शन मात्र से पुण्य मिलता है।
गोखुर- गाय के पैरों को तीर्थ समान माना जाता है। मान्यता है कि किसी काम के लिए जाते समय गाय के पैरों को छुने से उस काम में सफलता हासिल होती है।
खेती- किसान दिन-रात मेहनत कर खेतों में अनाज पैदा करते हैं। खेतों में पकी खेती मन को सुकून देती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, पकी खेती के दर्शन मात्र से व्यक्ति को पुण्य मिलता है।
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]