हिन्दू महाकाव्यों के अनुसार 10 सबसे सुंदर स्त्री |

त जब खूबसूरती की आती है तो भारतीय महिलाएं ऐश्वर्या राय बच्चन, प्रियंका चोपड़ा, सोनम कपूर और करीना कपूर जैसी बॉलीवुड एक्ट्रेसेस से अपनी तुलना करने लगती हैं। इन सभी एक्ट्रेसेस को आज के दौर की खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में काउंट किया जाता है। मगर हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथों में कुछ ऐसी महिलाओं का जिक्र किया गया है जिनकी खूबसूरती की मिसालें आज भी दी जाती
मोहिनी
समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश को पाने के लिए जब दैत्या और देवतओं में लड़ाई हो रही थी तब भगवान विषणु को दैत्यों को चकमा देने के लिए एक विचार आया और वह स्वंय ही एक खूबसूरत महिला का रूप धारण कर समुद्र से प्रकट हो गए भगवान विष्णु के इस स्त्री रूप को पुराणों में मोहिनी के नाम से जाना जाता है। पुराणों में लिखी कहानी के अनुसार इतनी खूबसूरत महिलाआ को देख कर दैत्य कलश को भूल गए और मोहिनी के रूप को निहारने लगे। दैत्यों और देवताओं दोनों को इस बात की भनक भी नहीं लगी कि मोहिनी के रूप के पीछे स्वंय भगवान विषणु उनके सामने मौजूद हैं। दैत्य और देवताओं दोनों ही मोहिनी की खूबसूरती पर मोहित थे इसलिए दोनों में तय हुआ कि अमृत कलश से थोड़ा थेड़ा अमृत मोहिनी ही सभी को पिलाएगी। हुआ भी ऐसा ही मगर मोहिनी ने छल से जहां देवताओं को अमृत पिलाया वहीं दैत्यों को अमृत के बहाने पानी पिला दिया। कहा जाता है कि मोहिनी जैसा सुंदर स्वरूप आज तक किसी भी महिला का न हो सका है। आज भी खूबसूरती की जब बात हाती है, तो मोहिनी की उपमा दी जाती है।
अहिल्या
हिन्दू ग्रंथ रामायण की कहानी से देश का बच्चा बच्चा परिचित है। मगर बात जब पात्रों की आती हैं तो ज्यादातर लोगों को राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण ही याद रह जाते हैं मगर इस कहानी में अनेक पात्र हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। इनमें से एक हैं देवी अहिल्या । अपने नाम की ही तरह इस देवी की कहानी भी विचित्र है। कहानी के अनुसार श्री राम वनवास के दौरान एक पत्थर शीला से टकरा गए। उनके पैर जैसे ही उस शिला पर पड़े उस शीला से एक जीविता महिला बाहद निकल आई। इस महिला का नाम ही अहिल्या था। महर्षि गौतम की पत्नी देवी अहिल्या दिखने में बेहद खूबसूरत थीं और पतिव्रता भी थीं। मगर अहिल्या की खूबसूरती पर देवराज इंद्र की बुरी नजर पड़ गई और उन्हें पाने के लिए देवराज इंद्र ने चाल चली। महर्षि गौतम के वन में तपस्या करने के दौरान देवराज इंद्र ने उनका रुप धारण कर लिया और देवी अहिल्या के साथ ही वन में रहने लगे। मगर तपस्या से जब महर्षि गौतम वापिस लौटे और देवी अहिल्या को देवराइंद्र के साथ देखा तो उन्होंने देवी अहिल्या को श्राप दिया कि वो एक पत्थर की शिला बन जाएंगी और जब श्रीराम के उस शिला पर पैर पड़ेंगे तब ही उन्हें उनका जीवन वापिस मिलेगा।
तिलोत्मा
कभी-कभी किसी-किसी महिला की खूबसूरती को देखकर हम कह उठते हैं कि ‘उसे तो भगवान ने फुर्सत में बनाया है’ मगर वास्तव में एक ऐसी महिला थी जिसे सचमुच भगवना बृह्मा ने दुनिया भर की खूबसूरती से तिल-तिल सुंदरता इकट्ठा कर बनाया था। इस महिला का नाम तिलोत्तमा था और यह स्वर्ग की एक अपसरा थी। तिलोत्तमा से जुड़ी एक कहानी के अनुसार भगवान बृह्मा ने दो असुर भाइयों का आपसी भाईचारा तोड़ने के लिए एक खूबसूरत अपसरा के रूप में तिलोतमा को बनाया था। दरअसल पृथ्वी पर सुंद उपसुंद नाम के दो असुरों ने तहलका मचा रखा था। दोनों भाई हमेशा एक दूसरे के साथ रहते थे और साथ में उनकी शक्ति इतनी बढ़ जाती थी कि उन्हें कोई हरा नहीं पाता था । बृह्मा जी ने तिलोत्तमो को पृथ्वी पर भेजा ताकि वह अपनी खूबसूरती से दोनों भाईयों के बीच फूट डाल दे। और ऐसा वास्तव में हुआ भी।
उर्वशी
पुराणों में आकाश में रहने वाली अप्सराओं और साधारण मनुष्यों के बीच प्रेम की कई कथाएं आपने सुनी होंगी। मेनका और विश्वामित्र एवं रंभा और शुक्राचार्य की प्रेम कथाएं इसी का उदाहरण है मगर इन्हीं कथाओं में एक कथा उर्वशी और पुरूरवा की है। कहानी के अनुसार, उर्वशी देवराज इंद्र के दरबार में एक अप्सरा थी और वहां रहते रहते उसे काफी बोरियत होने लगती थी। वह हमेशा पृथ्वी पर रहने वाले लोगों का जीवन जीना चाहती थी। तब उसने तय किया कि वह कुछ समय के लिए पृथ्वी पर जाएगी मगर। वह पृथ्वी पर कुछ दिन समय बिता कर जब वापिस स्वर्ग लौट रही थी तब उसे बीच में एक राक्षस ने पकड़ लिया। मगर राजा पुरुरवा ने उसे बचा लिया। तब उर्वशी को राज से प्यार हो गया और पुरुरवा भी उर्वशी की सुंदरता से मोहित हो उठा।
उर्वशी अपना पूर जीवन पुरुरवा के साथ बिताना चाहती मगर वह कुद शर्तो में बंधी थी। पहली शर्त यह थी कि वह दो बकरियाँ लेकर आएगी और राजा को उसकी देखभाल करनी होगी। दूसरी शर्त थी कि जब तक वो पृथ्वी पर रहेगी तब तक वो केवल घी का ही सेवन करेगी। तीसरी यह कि वे एक दूसरे को नग्नावस्था में केवल यौन संबंध बनाते समय ही देखेंगे। मगर देवताओं को जब उर्वशी और पुरुरवा के प्यार के बारे में पता चला तो वह जलन से भर गए और शर्तों को तोड़ने के लिए चाल चलने लगे। एक रात को गन्धर्वों ने उर्वशी की बकरियाँ चुरा ली। जब बकरियों ने मिमियाना शुरू किया तो उर्वशी को चिंता हुई और उसने पुरुरवा को उन्हें बचाने के लिए कहा। उस समय पुरुरवा ने कुछ भी नहीं पहना हुआ था वह जल्दी में निकल गया। तब तुरंत ही गन्धर्वों ने उन पर प्रकाश डाला, इससे उन दोनों ने एक दूसरे को नग्नावस्था में देख लिया। और दो शर्तों के टूटने पर उर्वशी को स्वर्ग लौटना पड़ा।
दमयंती
पुराणों में सिमटी कई प्रेम कथाओं में एक कथा विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री दमयंती और निषध के राजा वीरसेन के पुत्र नल की भी है। जहां दमयंती दिखने में बेहद खूबसूरत थी वहीं नल एक शक्तिशाली राजा था। दोनों ने ही एक दूसरे के इतनी तारीफें सुन रखी थीं कि दोनों एक दूसरे को देखे बिना ही एक दूसरे से प्रेम करने लगे थे। जब दमयंती के स्वयंवर का आयोजन हुआ तो इन्द्र, वरुण, अग्नि तथा यम भी उसे प्राप्त करने के लिए वहां पहुंचे और चारों ने नल का रूप धारण कर लिया। 5 नल के समान चेहरे वाले पुरुषों को देख कर दमयंती डर गई मगर उसके प्रेम में इतनी शक्ति थी कि असली नल को वह पहचान गई और दोनों की शादी हो गई। मगर शादी के बाद दोनों ज्यादा वक्त एक दूसरे के साथ न रह सके। नल अपने भाईयों से जुएं में सब कुछ हार गया और वन में चला गया। दमयंती भी वापिस अपने पिता के घर लौट गई। वन में नल को एक सांप ने काट लिया जिससे उसका पूरा शरीर काला पड़ा गया। उसे देख कर पहचान पाना भी मुश्किल था। मगर नल की तलाश में दर दर भटकती दमयंती के सामने जब नल इस रूप में आया तब भी वह उसे पहचान गई।
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]