जान‍िए क्‍यों गांधारी ने पुत्र दुर्योधन को नग्‍नावस्‍था में बुलाया अपने समीप?

जान‍िए क्‍यों गांधारी ने पुत्र दुर्योधन को नग्‍नावस्‍था में बुलाया अपने समीप?

युवा दुर्योधन को इस अवस्‍था में देखने का कारण
युग कोई भी रहा हो लेकिन मां और बच्‍चे का र‍िश्‍ता अटूट ही रहा है। एक मां की हमेशा ही यह चाहत रही है कि उसका बच्‍चा हर व‍िपदा से दूर रहे। इसका प्रत्‍यक्ष प्रमाण द्वापर युग में हुई महाभारत में देखने को मिलता है। लॉकडाउन में चल रहे महाभारत में आपने कई ऐसे प्रसंग देखे होंगे जिन्‍हें देखकर तमाम तरह के सवाल मन में आते ही होंगे। ऐसा ही प्रसंग है जब गांधारी ने दुर्योधन को नग्‍नावस्‍था में देखने की बात कही। आइए जानते हैं आख‍िर क्‍या वजह थी जो अपने युवा बेटे को वह इस रूप में देखना चाहती थीं?

गांधारी को शिव से मिला था अनोखा वरदान
गांधारी पतिव्रता स्‍त्री थीं। जन्‍मांध पति धृतराष्‍ट्र के प्रति यह उनका समर्पण भाव ही था कि उन्‍होंने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। बता दें कि गांधारी भगवान भोलेनाथ की अनन्‍य भक्‍त थीं। यह उनकी श्रद्धा और पूजा ही थी कि शिवजी ने उन्‍हें एक अद्भुत वरदान दिया था।

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इसलिए ही गांधारी ने नहीं खोली कभी पट्टी
कथा मिलती है कि भोलेनाथ के दिए हुए वरदान के मुताबिक गांधारी जिस किसी को भी पट्टी हटाकर देख लेतीं। उसका शरीर व्रज के समान हो जाता। यही वजह थी कि उन्‍होंने अपनी आंखों पर बांधी हुई पट्टी कभी नहीं हटाई।

गांधारी ने जब दुर्योधन को नग्‍नावस्‍था में बुलाया
यूं तो गांधारी ने हमेशा ही अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रखी। लेकिन जब महाभारत का युद्ध अंतिम चरण पर पहुंच गया। कौरवों के बड़े योद्धा और गांधारी के 99 पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो गए तब गांधारी के मन में पुत्र मोह जग उठा और वह अपने पुत्र दुर्योधन की मृत्यु के भय से डर गईं। ऐसे में दुर्योधन को आदेश दिया कि वह गंगा में स्नान करके नग्न अवस्था में ही उसके पास आ जाए।

दुर्योधन को ये कैसी सीख दी श्रीकृष्‍ण मुरारी ने
कथा के अनुसार जब दुर्योधन अपनी मां गांधारी के कहे अनुसार गंगा स्‍नान करके लौट रहा था तभी गांधारी से मिलकर लौट रहे श्रीकृष्‍ण की नजर दुर्योधन पर गई। श्रीकृष्‍ण सब रहस्य जानकर दुर्योधन से कहने लगे कि, बाल्‍यावस्‍था की बात और थी। अब वह युवा है, इस उम्र में मां के सामने ऐसे जाना अनुचित है। श्रीकृष्‍ण जानते थे कि अगर दुर्योधन का शरीर वज्र का हो गया तो महाभारत का अंजाम कुछ और हो जाएगा। इसलिए उन्होंने यह दांव चला था।

तो यह थी वजह पत्‍तों को धारण करने की
दुर्योधन ने सोचा कि श्रीकृष्‍ण कह तो उच‍ित ही रहे हैं। तब उसने अपने कमर से निचले हिस्‍से को पत्तो से ढक लिया। इसके बाद वह माता गांधारी के पास पहुंचा। जैसे ही माता ने उसे देखा उसका पूरा शरीर वज्र के समान हो गया। लेकिन जो हिस्सा पत्तों से ढका था वह सामान्य रह गया। गांधारी दुर्योधन की इस भूल पर बहुत रोईं। लेकिन अब कुछ हो नहीं सकता था।

इस कारण से ही मुमकिन हो पाई दुर्योधन की मृत्‍यु
महाभारत के अंतिम युद्ध में दुर्योधन को भीम ने ललकारा और इनके बीच गदा युद्ध हुआ। गदा युद्ध में भीम पर दुर्योधन भारी होता जा रहा था क्योंकि भीम के वार का दुर्योधन पर कोई असर नहींं हो रहा था क्योंकि उसका शरीर वज्र का हो चुका था। ऐसे में श्रीकृष्ण ने भीम से कमर पर वार करने को कहा और स्थिति उलट गई। दुर्योधन युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ।

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)

डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

kavya krishna

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