कैसा होता है स्वर्ग और नरक….. जानिए यमलोक से लौटी कन्याओं से।

सभी मनुष्य स्वर्ग और नरक के बारे में जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते है कि उनके मरने के बाद यदि उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है तो उन्हें किस प्रकार का सुख मिलेगा और यदि उन्हें नरक की प्राप्ति होती है तो उन्हें क्या झेलना होगा।पदम् पुराण की कथा के अनुसार एक बार यमदूत 2 कन्याओं को गलती से यमलोक लेकर चले गए और उन्हें चित्र गुप्त के सामने पेश कर दिया। लेकिन चित्र गुप्त ने जब उनका हिसाब किताब देखा तो यमदूत से कहने लगे कि तुमने यह क्या कर दिया। तुम भूल वश इन कन्याओं को यहाँ ले कर आ गए। जबकि अभी तो इनकी आयु बाकी है जाओ इन कन्याओं को वापस मृत्यु लोक पर छोड़ आओ।
जैसे ही इन कन्याओं को इस बात की जानकारी हुयी कि यमदूत उन्हें भूल वश यमलोक ले आये है तो ये कन्याएं उनसे कहने लगी कि आपकी भूल के कारण हमारे परिजनों को जो कष्ट और दुःख पहुंचा है। उसके बदले में आपको हमें पूरे यमलोक की सैर करानी होगी और इसकी जानकारी भी देनी होगी नहीं तो हम यही रहेंगे और वापस नहीं जायेंगे।ऐसा सुनते ही यमदूत घबरा कर यमराज़ के पास पहुंचे और उन्हें ये वृतांत सुनाया। तब यमराज ने उनसे कहा कि तुम्हें अपनी भूल का प्राश्चित इसी प्रकार करना होगा।
इन कन्याओं ने बताया कि यमलोक बहुत बड़ा है। जहाँ चित्रगुप्त का एक कमरा है। जहाँ वो पृथ्वी पर रहने वाली सभी जीव आत्माओं के कर्मों का लेखा-जोखा रखते है और उनके शुभ – अशुभ फलों का निर्धारण करते है।
नरक का रास्ता बताते हुए ये कन्याएं कहती है कि वहां का रास्ता बहुत ही कष्टदायी होता है। इस रास्ते से जाने वाली पापी जीव आत्माओं को कष्ट भोगना पड़ता है फिर चाहे वो बूढ़ा, बच्चा, स्त्री, पुरुष, नपुंसक या फिर गर्भ में रहने वाली आत्मा ही क्यों न हो। जो आत्माएं पृथ्वी पर पुन्य कर्म और शुभ कार्य करती है। उन जीव विमान वहां शोभित होते है।ये पुण्य आत्माएं जिस विमान पर बैठ कर आती है तो इन्हें देख कर यमराज अपने आसन से उठ जाते है और अपने पार्षदों के साथ स्वयं उनका स्वागत करके उन्हें स्वर्ग लोक भेज देते है। जहाँ उन्हें हर प्रकार का सुख दिया जाता है।
बुरी आत्माएं रेत में पूरी तरह से धंस जाती है। यह रेत उनके गले तक पहुँच जाती है। ऐसे में आत्माएं अपने परिजनों को याद करके रोने लगती है लेकिन फिर भी उनका रोना कोई नहीं सुनता। ये आत्माएं अपने रस्ते में आगे बढ़ने लगती है। जहाँ उन्हें अत्यंत भयंकर कांटों की आग से होकर जाना पड़ता है। उन पर अंगारे और अस्त्र- शश्त्र बरसाए जाते है। जिससे इन आत्माओं के शरीर पर छाले पड़ जाते है उसके बाद इन के ऊपर नमक मिले पानी को बरसाया जाता है। फिर घनघोर आंधियों के बीच से डरावने यमदूत इन्हें खींच कर यमलोक तक ले जाते है।
उनके पैरो में बेडिया और हाथों में नोकीली कीले ठोक दी जाती है। इन पर तीखे और नुकीले बाण चलाये जाते है। इस पूरे रास्ते में उनके शरीर में छाले पड़ जाते है। भूख प्यास के कारण वो भोजन मांगते है, ठण्ड के लिए वस्त्र मांगते है लेकिन उन्होंने इनमे से किसी भी चीज़ का दान नहीं किया होता इसलिए उन्हें यहाँ कुछ भी नहीं मिलता। इस प्रकार इतना भयंकर कष्ट, इतनी पीड़ा सहन करने के बाद उन्हें यमराज के सामने पेश किया जता है। जहां चित्रगुप्त उनके कर्मों का हिसाब उन्हें बताते हैं।
जब तक उनके कर्मों का हिसाब नहीं हो जाता। उसके बाद जब इनके पाप कर्मों से इनका शुद्धीकरण हो जाता है तो इन्हें बाकी कर्मों का फल भोगने के लिए फिर से धरती पर दूसरा जन्म लेना पड़ता था। जैसे पेड़- पौधे , टहनियां और झाड़ियाँ आदि में जन्म लेने का कष्ट भोगने के बाद कीड़े-मकौड़े की योनी में जन्म लेते है। जिसके बाद पक्षी और फिर उसके बाद मृग यानी हिरन योनी में जन्म लेने का दुःख और पीड़ा भोगते है।
ये सब बताने के बाद वो कन्याएं अपने परिवार वालों से कहती है कि हम बहुत भग्यशाली है कि हमने मनुष्य योनी में इस पवित्र भारत वर्ष में जन्म लिया है। मनुष्य योनी पाने के लिए आत्मा को हज़ारों- लाखों योनियों से होकर गुजरना पड़ता है। तब जाकर मनुष्य जन्म मिलता है।जो मनुष्य हमेशा माघ स्नान में तत्पर रहते है उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसे मनुष्य धरती पर ही मोक्ष प्राप्त कर लेते है। भारत वर्ष में जन्म लेना बड़े ही सौभाग्य की बात मानी जाती है। भारत वर्ष को कार्म भूमि माना जाता है। भारत वर्ष में ही योग और तपस्या की जाती है। दान पुण्य भी यहीं सबसे जयादा किया जाता है।
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]