मन में आए गंदे विचारो को कैसे दूर करे

बुरे विचारों का अगर सामना न किया जाए, तो ये कई दिनों, हफ्तों या महीनों तक आपको परेशान कर सकते हैं। ये अक्सर उसी वक़्त पर आया करते हैं, जब आपको इनकी कम उम्मीद होती है, जैसे कि जब आप उन स्थितियों का विश्लेषण करते हैं या मानते हैं, कि किसी ने आपका अपमान किया है। विचार दर्दभरे होते हैं, बुरे विचार आना स्वाभाविक है और आपके दिमाग के पास में उनका सामना करने के तरीके भी होते हैं। भले ही बहुत सीरियस डिप्रेशन से गुजर रहे होने पर या फिर आपके बुरे खयाल बार-बार लौटकर आने पर आपको मदद की तलाश करना चाहिए, लेकिन ज़्यादातर टाइम आप खुद ही उन पर काबू पा सकते हैं।
बुरे विचारों को रोकना
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एक बात याद रखें, कि कभी-कभी बुरे विचार आना स्वाभाविक है: ये अपनी परेशानी को पहचानने, उसे स्वीकार करने का संभावित एक अकेला तरीका है। बहुत बार आप ऐसा मान लेते हैं, कि आप अकेले ही हैं, जिसे ऐसी मुश्किल हो रही है या फिर आप जिस स्थिति से गुजर रहे हैं, उसे कोई नहीं समझ सकता, लेकिन बुरे विचार जीवन का एक हिस्सा हैं और, सबसे महत्वपूर्ण बात, वो चले भी जाएंगे। मन में बुरे खयाल उठने की वजह से खुद को मत कोसें, क्योंकि इसमें आपकी कोई गलती ही नहीं है।[१]
“इसमें मेरी गलती है,” “मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था,” या “मुझे इस खयाल से नफरत है” इस तरह की बातों का इस्तेमाल मत करें।
आपको पहले भी बुरे खयाल आए होंगे और ये आगे फिर से भी आएंगे। लेकिन आप फिर भी यहीं हैं, जिंदा हैं और स्वस्थ भी हैं। आपके बुरे विचार आपको मार नहीं सकते हैं, बशर्ते आप इन्हें अपने लिए विकराल मुश्किल नहीं बना लेते।
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सोचकर देखें, ऐसा क्या है, जो आपके विचारों को “बुरा” बना रहा है: आप आपके इस विचार से दुखी क्यों हैं? ऐसा क्या है, जिसकी वजह से ये आपके दिमाग में घर किया है? अक्सर बुरे विचार इसलिए भी बने रहते हैं, क्योंकि आप गिल्टी, गुस्सा या फिर अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित महसूस कर रहे होते हैं, इसलिए आप किस वजह से उन्हीं विचारों में अटके हुए हैं, उस वजह को जानना, परेशानी को समझने और उससे बचने के तरीके को समझने में मदद कर सकता है। मुश्किल विचारों के पीछे की कुछ आम वजहों में, ये शामिल हैं:
गिल्ट या पछतावा
दुख या उदासी
चिंता
जैलसी या ईर्ष्या
प्रलोभन
ट्रॉमा या मानसिक आघात
असफलता या असफलता का डर[२]
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कुछ गहरी साँसों के जरिए अपने विचारों को धीमा करें: जब आपके दिमाग में अचानक कोई बुरा विचार आता है, तो चिंता या घबराहट होना स्वाभाविक है, लेकिन उस विचार पर रुकने या उसे ठीक करने की अपनी इच्छा का विरोध करें। आप जो भी कर रहे हैं, उसे रोकने के लिए 30 सेकंड का वक़्त लें और कुछ गहरी, लंबी साँसें लें। एकदम फौरन किसी भी तर्कहीन या चरम निष्कर्ष पर कूदने के बजाय, विचार को संबोधित करने के लिए अपने आप को एक पल दें।
अगर आप अभी भी नर्वस महसूस कर रहे हैं, तो 15 तक काउंट करने की कोशिश करें।
आप चाहें तो कुछ देर के लिए कलर कर सकते हैं, रिलैक्सिंग म्यूजिक सुन सकते हैं या फिर कुछ पढ़ भी सकते हैं।
वैकल्पिक रूप से, बाहर निकल जाएँ, खुद को कमरे से बाहर कर लें या फिर अपने मन को साफ करने के लिए छोटी सी वॉक पर जाकर देखें।[३]
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खुद से पूछें, कि आपको क्यों ऐसे नेगेटिव या बुरे विचार आ रहे हैं: एक बार आपके विचार धीमे हो जाएँ और आपके दुखी होने के कारण के बारे में सोच लें, फिर वक़्त है, खुद से ये सवाल करने का, कि आपके विचार आखिर क्यों इतने नेगेटिव हैं। पूछने लायक कुछ अच्छे सवालों में, ये शामिल हैं:
मेरी चिंता या डर के लिए मेरे पास कौन से सबूत हैं?
इस स्थिति के बारे में ऐसी कौन सी पॉज़िटिव बात है, जिसे मैं भूल रहा/रही हूँ?
क्या इस परिस्थिति को देखने का और कोई दूसरा तरीका है? कोई और मुझे किस तरह से देखेगा?
क्या ये 5 सालों में भी मायने रखेगा?[४]
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उस पल में बने रहें: यदि कोई स्थिति आदर्श नहीं है या कठिन है, तब भी आप ठीक हो सकते हैं। आपको आपके बुरे विचारों को खुद पर हावी नहीं होने देना है। आप भविष्य पर काबू नहीं पा सकते हैं और आप अतीत को भी काबू में नहीं कर सकते हैं। आप जो कर सकते हैं, वो है अभी में रहना और उसी का सामना करना। ज़्यादातर कई बुरे विचार इस तथ्य को भूल जाने और आने वाली भविष्यवाणियों या अनुमानों के बारे में सोचने से शुरू होते हैं।[५]
उदाहरण के लिए, आप खुद को ऐसा बता सकते हैं, कि आपका कल आने वाला टेस्ट बहुत मुश्किल होने वाला है और आप निश्चित रूप से फेल होने वाले हैं, लेकिन असल में आपके बुरे विचार का असलियत में कोई आधार ही नहीं होता है। जब तक टेस्ट आपकी डेस्क तक पहुँच पाता है, तब तक आप एक रात पहले इसे आसान बनाने के तरीके तलाशने की बजाय, खुद को ये बता चुके होते हैं, कि ये बहुत मुश्किल होने वाला है। भविष्य के बारे में अपने अनुमानों से आपके वर्तमान को बर्बाद मत होने दें।
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अपने विचारों को संभावना में रखकर देखें: एक बुरे विचार के लिए आपकी प्रारंभिक प्रतिक्रिया, उसे पैमाने से बाहर करने की होगी: “मुझे दूसरी महिला को देखकर लालच हुई, मैं शायद अपनी बीबी से प्यार नहीं करता,” “मेरे बॉस को मेरा प्रजेंटेशन अच्छा नहीं लगा, अब मुझे नौकरी से निकाल दिया जाएगा,” “हर किसी के पास में एक अच्छी कार है, मैं शायद एक सफल इंसान नहीं हूँ।” इस तरह के विचार न केवल साधारण हैं, ये अक्सर ही गलत साबित होते हैं। इतना याद रखें, कि आप पूरी दुनिया की नजरों का एकमात्र केंद्र नहीं हैं और आपकी ज़िंदगी में मौजूद ज़्यादातर परेशानियों का आपकी खुशी से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। पिछले वक़्त की परेशानियों को याद करके देखें, जब लोगों को जमीन में दबाया या फेंक दिया जाता था – वैसे तो उस वक़्त उनके मन में डरावने खयाल आए होंगे, लेकिन संभावना तो यही है, कि उसकी कोई सच्ची इमेज बनाए बिना ही आप आगे बढ़ गए होंगे।[६]
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जिस चीज से आपको राहत मिलने वाली हो, खुद को किसी ऐसी ही खास चीज से डिसट्रेक्ट करने की कोशिश करें: अपने मन को परेशानी से हटाने के लिए या फिर खुद को एक नजरिया देने के लिए, किसी ऐसी चीज के ऊपर अपना मन लगा लें, जिसे आप जानते हैं और जिसे आप पसंद भी करते हैं। अच्छी याद से जुड़ी किसी चीज के बारे में सोचना, आपके अच्छे विचारों को एक नजरिया दे सकता है – चीजें हमेशा से इतनी बुरी नहीं रही हैं और न ही वो भविष्य में भी बुरी ही होने वाली हैं।[७]
अपनी फेवरिट बुक को फिर से पढ़ें।
अपनी मॉम की चॉकलेट कुकी रेसिपी आजमा कर देखें।
अपनी टीम के अगले होम गेम को देखने जाएँ।
जवानी के दिनों में आप जिस एल्बम को पसंद किया करते थे, आज फिर उसे ही सुनें।
किसी मजेदार ईवेंट या वेकेशन की तस्वीरों को देखें।
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अपने विचारों से भागने की या उन्हें “सिरे से खारिज” करने की कोशिश मत करें: खुद से बार-बार किसी चीज के बारे में न सोचने का कहते रहना, उसे याद करने के बराबर ही होता है। आप आपका सारा वक़्त बस यही “मेरे ब्रेकअप के बारे में सोचना बंद कर दो” कहने में बिता लेते हैं, लेकिन आप ये महसूस ही नहीं करते हैं, कि आप अभी भी अपने ब्रेकअप के बारे में ही बात कर रहे हैं! आपको अपने विचारों को या तो किसी और दिशा में ले जाने की कोशिश करना चाहिए या फिर अपने बुरे विचारों का सामना करने की कोशिश करना चाहिए। अपने विचारों को लगातार खुद से दूर करने की कोशिश की वजह से आपकी ये परेशानी सिर्फ और बढ़ती ही जाती है। कुछ मामलों में परेशानी का सीधे सामना कर लेना ही सबसे अच्छा होता है, जबकि दूसरी परिस्थिति में उसे खुद से दूर रखना ही बेहतर होता है।
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परेशानी को “जाने देने” के ऊपर काम करें: बुरे विचारों से उलझने की बजाय, एक गहरी साँस लें, उन्हें स्वीकार करें और आगे बढ़ जाएँ। इसे सीखना मुश्किल है, लेकिन इस स्किल को सीख लेना ही अपनी बाकी की ज़िंदगी में नेगेटिव विचारों के साथ लड़ने के लिए बेस्ट होता है।[८] उदाहरण के लिए, हो सकता है, कि आप ऑफिस में आप से हुई गलती की वजह से खुद को नौकरी से निकाले जाने की संभावना को लेकर चिंता में हों। आप से जो गलती हुई, उस पर ही अटके रहने की बजाय, अपनी गलती से सीख हासिल करें और फिर भविष्य में दोबारा उसे न दोहराने के लिए कुछ कदम उठाएँ। बुरे की उम्मीद रखने की बजाय, सुधार लाने पर ध्यान लगाएँ। ऐसी बातें सोचें, “मैं दुनिया में हर एक चीज पर काबू नहीं कर सकता,” “मैं अपने अतीत को नहीं बदल सकती,” और “अब आगे बढ़ने का वक़्त है।”
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बस “अपनी परेशानी को खुद से दूर फेंक दें:” ये आपको जरा अजीब जरूर लग सकता है, लेकिन ओहियो स्टेट की एक स्टडी में पाया गया कि जो लोग अपने बुरे विचारों को लिखते हैं और फिर पेपर को खुद से दूर फेंक देते हैं, उनके मन में, पेपर को अपने पास ही रखने वाले लोगों के मुक़ाबले खुद के लिए एक अच्छी इमेज बनती है। लिखना अपनी परेशानियों को व्यक्त करने का और फिजिकली उन से छुटकारा पाने का और अपने शरीर को ये बात बताने का, कि अब आगे बढ़ने का समय है एक तरीका होता है।[९]
ठीक इसी स्टडी ने पाया, कि अपने कंप्यूटर पर फाइल को ड्रैग करके ट्रेश तक लेकर जाने में भी ठीक ऐसा ही असर होता है।
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अपने बुरे विचारों के बारे में अपने किसी भरोसेमंद इंसान के साथ में बात करें: अपने बुरे विचारों को अपने मन से निकाल देना और खुलकर सामने लाना, अपने विचारों को बुरा बनाने के पीछे की वजह के ऊपर काम करने का एक तरीका होता है। साथ ही ये अक्सर आपको इस बात का अहसास दिलाने में आपकी मदद भी करती है, कि आपके जो विचार हैं, वो उतने भी बुरे नहीं, जितना वो लग रहे हैं। अपनी चिंता को शब्दों में बयां करने के बाद, मुमकिन है, कि आपको किसी ऐसे इंसान से कुछ कीमती सलाह और नजरिया मिल सकेगा, जिसके मन में भी ठीक आप ही की तरह चिंता है। काफी सारे साइकैट्रिस्ट ने पाया कि किसी सहज माहौल में अपने मन के विचारो को बताना ही, उन्हें खत्म करने के लिए काफी होता है।
बुरे विचार आमतौर पर खुद के साथ बात करने की तरह होते हैं और आप जो भी कहते हैं, वो सब आपको सच्चा लगता है। कोई और नजरिया रखना आपको आपके लॉजिक के लिए नजरिया रखने में और विचार को खत्म करने में मदद कर सकता है।[१०]
आप आपके किसी भरोसेमंद फ्रेंड या फैमिली के साथ ही किसी थेरेपिस्ट या साइकैट्रिस्ट से भी बात कर सकते हैं।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था लोकऔर मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)