मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलेगा या फिर भटकेगी आपकी आत्मा, ऐसे समझें

इस जीवन का एकमात्र और अटल सत्य है तो वो है मृत्यु, तभी तो कहा जाता है कि जो आता है वो जाता भी है। इसके अलावा चाहे कोई व्यक्ति किसी भी चीज़ से कितना ही मोह क्यों न कर लें उसे छोड़कर एक दिन जाना होता है। इससे ये प्रमाणित होता है कि मृत्यु को रोका नहीं जा सकता। ऐसे में हर कोई अपनी मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्ति की ही चाहत रखता है।
लेकिन, आपको यह बात तो शायद कोई नहीं बता पाएगा की मौत हो जाने के बाद आपकी आत्मा का क्या होता है, यानि उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी या व्यक्ति की आत्मा ऐसे ही भटकती रहेगी। मगर धार्मिक किताबों में बताया जाता है कि जिस इंसान के कर्म शुरू से अच्छे होंगे, उसको जीवन मरण बंधनों से छुटकारा मिल जाएगा।
वहीं माना जाता है कि जिन लोगों के कर्म ख़राब होते हैं अक्सर उन लोगों की आत्मा भटकती रहती है। इसके अलावा बताया जाता है कि ज्योतिष शास्त्र में भी कहा गया है कि मनुष्य की कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देख मालूम किया जा सकता है, कि किसको होती स्वर्ग और नर्क की प्राप्ति।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार स्वर्ग जाना चाहते हैं तो करें ये काम-
: अपने जीवन काल में निरंतर सतकर्म करते रहे।
: मोक्ष पाने की इच्छा रखने वाले वासना से भरे भावों को अपने मन से हमेशा दूर रखें।
: योनि-पूजन, लिंगार्चन, भैरवी-साधना, चक्र-पूजा जैसी गुप्त साधनाओं के माध्यम से ईश्वर के सानिध्य का अनुभव करते रहें।
: कोशिश करें कि जीवन में किसी भी तरह के पाप कर्म न करें।
ऐसे होती है स्वर्ग की प्राप्ति…
ज्योतिष के अनुसार कई ऐसे ग्रह हैं, जिनके प्रभाव के आ जाने के कारण व्यक्ति जीवन में ठीक राह पकड़ लेता है। वैसे सभी ग्रहों में गुरु अत्यंत शुभ ग्रह माना जाता है। क्योंकि इसके प्रभाव में मनुष्य हमेशा अच्छे काम करने का इच्छुक रहता है।
मान्यता यह भी है कि कुंडली में गुरु के शुभ स्थान में होने पर इंसान को जीवन में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति भी होती है और ऐसे में गुरु ही वह व्यक्ति है जो सही मार्ग दर्शन देकर जन्म-मृत्यु के बंधन से छुटकारा दिला देता है। वहीं यदि कोई ऐसा इंसान जिसको अच्छे-बुरे होने के बारे में पता होने के बावजूद वो कोई गलत कार्य करे, तो ऐसे व्यक्ति की आत्मा मरने के बाद भी भटकते रहती है।
कुंडली के मुताबिक इन्हें होती है स्वर्ग प्राप्ति…
: अगर कुंडली के बारहवें भाव में शुभ ग्रह बैठा है और बारहवें भाव का स्वामी अपनी राशि या फिर मित्र राशि में विराजमान है और इन्हें कोई शुभ ग्रह देख रहा है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने जीवन में शुभ काम ही करता है और इन लोगों को मरने के बाद भी स्वर्ग मिलता है।
: कुंडली में केवल गुरु ही कर्क राशि में छठे, आठवें, प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में बैठा हो और बाकी सभी ग्रह कमजोर हो तो ऐसे लोगों को मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
: इसके अलावा जब कुंडली में गुरु लग्न स्थान में मीन राशि में विराजमान हो या दसवें घर में हो या किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि उस नहीं पड़े तो ऐसी स्थिति में मरने के बाद भी स्वर्ग मिलता है।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)