मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा वापस अपने घर क्यों आती है ?

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा वापस अपने घर क्यों आती है ?

इस धरा पर जो भी जन्मा है उसका नाश होना तय है जो भी इस दुनिया में आया है उसे इक दिन जाना ही पड़ता है क्योंकि मृत्यु एक अटल सत्य है जिससे कोई नही बच पाया है। लेकिन आज हम जो बताने वाले है उससे आप हैरानी में पड़ जाएगें। इस प्रश्न का उत्तर लगभग सारे व्यक्तियों को जानने की उक्सुक्ता रहती है। यह प्रश्न सबके मन में एक पहेली बना हुआ है।

आज हम आपको बताएँगे की आखिरकार मरने के बाद आत्मा 24 घन्टे में बाद फिर से अपने शव के पास क्यों लौट आती है, हम इसी बात पर प्रकाश डालने वाले है कि आखिरकार मरने के बाद आत्मा 24 घंटे के बाद फिर से अपने शव के पास क्यो लौट आती है !

आपको बता दे की हम जो आपको जानकारी देने वाले है वो पुराणों से मिली है।

इसका उल्लेख हम को पुराणों में मिलता है,लोग अपने जीवन में जैसा कर्म करते है उनको वैसा ही फल मरने के बाद मिलता है ये बात आपने भी सुनी होगी जो की सच है।

मरने के बाद एक इंसान के साथ क्या होता है यह गरुण पुराण में लिखा मिलता है गरुण पुराण के अनुसार मरने के समय 2 यम के दूत आते है जो लोग अच्छे कर्म करते है उनको आदर पूर्वक ले जाते है और जो लोग दुष्ट होते है उनको प्रताड़ना दे कर ले जाते है !

ये दोनों दूत इस आत्मा को यम के सामने ले जाते है और इसको यही पर 24 घंटे के लिए छोड़ देते है,यंहा पर इसके गलत कर्मो को दिखाया जाता है और फिर 24 घन्टे के बाद इसको वापस 13 दिन के लिए वही छोड़ दिया जाता है जहां से इसे लाया जाता है,13 दिन तक इसकी सभी क्रिया विधि सम्पन्न होने के बाद इसे वापस यम लोक लाया जाता है !

मृत्यु के बाद क्या होता है?
स्थूल शरीर यहाँ ही रहता है.मन बुद्धि इन्द्रियों कर्म,और प्राण जो सूक्ष्म शरीर कहलाता है निकल जाता है.कर्म अनुसार इसे नया स्थूल शरीर मिलता है, कपड़े बदलने सा कृष्ण ने बताया है.

सात्विक कर्म की बहुतायत में स्वर्ग, तप जन आदि लोक, राजस कर्म वाले धरती में मनुष्य बनते हैं, तामसिक संस्कार वाले नीच योनियों में जानवर पक्षी कीड़े पेड़ जैसे जड़ योनि बनते हैं.बड़े पापी नर्क आदि लोकों में डाले जाते हैं.

भक्त भगवान के लोक में पहुँचते हैं.ज्ञानी ब्रह्म में समाते हैं.

जिनको नवीन शरीर नहीं मिलता वे भूत प्रेत बनते हैं.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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