नंदी के कानों में मनोकामना कहने का क्या है राज?

आपने अक्सर शिव मंदिरों में देखा होगा कि लोग भगवान शिव के सामने बैठे उनके वाहन नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। उन्हें विश्वास होता है कि नंदी के कान में कही गई उनकी बात भगवान शिव तक जरूर पहुंचती है और वह पूरी होती है। क्या सच में ऐसा होता है? आप कहेंगे कि भगवान शिव जब साक्षात सामने बैठे हैं तो फिर नंदी के माध्यम से अपनी बात उन तक पहुंचाने का क्या तात्पर्य। सीधे शिवजी से भी तो कहा जा सकता है। आइए आज हम इसका राज बताते हैं।
नंदी भगवान
नंदी भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक हैं। कहा जाता है नंदी पूर्व में शिलाद ऋषि थे, जिन्होंने हजारों वर्षों तक घोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न् किया और उनसे यह वरदान पाया कि वे सदैव उनके साथ रहेंगे। शिलाद ऋषि की तपस्या से प्रसन्न् होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने वाहन के रूप में सदैव अपने साथ रखने का वचन दिया और तभी से वे नंदी के रूप में शिवजी के साथ रहते हैं। शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव सदैव तपस्या में लीन रहते हैं।
नंदी चैतन्यता का प्रतीक
वे बंद आंखों से भी संपूर्ण जगत के संचालन में सहयोग करते हैं जबकि नंदी चैतन्यता का प्रतीक है जो खुली आंखों और खुले कान से व्यक्त-अव्यक्त बातों का भान करता है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव की तपस्या में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े इसलिए नंदी चैतन्य अवस्था में उनके तपोस्थल के बाहर तैनात रहते हैं। जो भी भक्त भगवान शिव के पास अपनी समस्या लेकर आता है नंदी उन्हें वहीं रोक लेते हैं। किसी बाहरी विघ्न से शिवजी की तपस्या भंग ना हो इसलिए भक्त भी अपनी बात नंदी के कान में कह देते हैं और शिव के तपस्या से बाहर आने पर नंदी उन्हें भक्तों की सारी बातें जस की तस बता देते हैं। भक्तों को यह भी विश्वास रहता है कि नंदी उनकी बात शिवजी तक पहुंचाने में कोई भेदभाव नहीं करते और वे शिवजी के प्रमुख गण हैं इसलिए शिवजी भी उनकी बात अवश्य मानते हैं।
नंदी के कान में कहने के भी हैं कुछ नियम
-नंदी के कान में भी अपनी समस्या या मनोकामना कहने के कुछ नियम हैं उनका पालन करना आवश्यक है।
-नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कही हुई बात कोई ओर न सुनें। अपनी बात इतनी धीमें कहें कि आपके पास खड़े व्यक्ति को भी उस बात का पता ना लगे।
-नंदी के कान में अपनी बात कहते समय अपने होंठों को अपने दोनों हाथों से ढंक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको ना देखें। -नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात ना कहें, वरना शिवजी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा।
-नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पूर्व नंदी का पूजन करें और मनोकामना कहने के बाद नंदी के समीप कुछ भेंट अवश्य रखें। यह भेंट धन या फलों के रूप में हो सकती है।
-अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है लेकिन बाएं कान में कहने का अधिक महत्व है।
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]