दुर्लभ योग में करे 1 नारियल और बही खाते का महाउपाय, मालामाल कर देगी माता

दुर्लभ योग में करे 1 नारियल और बही खाते का महाउपाय, मालामाल कर देगी माता

हर पूजा-अनुष्ठान में नारियल का उपयोग जरूर किया जाता है। नारियल को श्रीफल भी कहते हैं। श्री यानी देवी लक्ष्मी। इसलिए नारियल फोड़ने के बाद ही हर नए काम की शुरूआत की जाती है ताकि देवी लक्ष्मी की कृपा हम पर बनी रहे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, कई ज्योतिषीय उपायों में भी नारियल का उपयोग किया जा सकता है। इन उपायों से ग्रहों को दोष भी कम हो सकते हैं और धन लाभ के योग भी बन सकते हैं। ऐसे ही कुछ उपाय इस प्रकार हैं

1. धन लाभ के लिए एक साबूत नारियल माता लक्ष्मी को चढ़ाएं। थोड़ी देर वो नारियल एक लाल कपड़े में लपेटकर घर में किसी ऐसी जगह रखें, जहां उसे कोई देख न सके। इससे धन लाभ के साथ-साथ घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
2. अगर आपको लगता है कि घर में कोई नेगेटिव एनर्जी है तो एक नारियल पर काजल से तिलक करें। इसके बाद उसे नारियल को पूरे घर में घुमाते हुए नदी में प्रवाहित कर दें।
3. बिजनेस में फायदे के लिए गुरुवार को एक नारियल पीले कपड़े में लपेटकर, उसमें एक जोड़ा जनेऊ और मिठाई के साथ रखकर किसी विष्णु मंदिर में चढ़ा दें।
4. राहु या केतु दोष से परेशान हैं तो शनिवार को एक सूखा नारियल लेकर उसे आधा काट लें। इन दोनों टुकड़ों में शक्कर भरकर किसी सुनसान स्थान पर जमीन में दबा दें। जैसे-जैसे चींटियां या और अन्य जीव इसे खाएंगे, आपके ग्रह दोष कम होते जाएंगे।
5. शनिवार को किसी शनि मंदिर में 7 नारियल चढ़ाएं और बाद में इन्हें नदी में बहा दें। इससे शनि दोष में कमी आ सकती है।
6. अगर किसी बच्चे को बुरी नजर लगी हो तो उसके ऊपर से पानी वाला नारियल 11 बार उतारकर जला दें।

बही-खातों का पूजन हेतु शुभ मुहूर्त में नए खाता पुस्तकों पर केसर और चंदन मिलकर लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। फिर इन बही-खता और पुस्तकों के ऊपर ‘श्री गणेशाय नम:’ लिखना चाहिए। फिर नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दूर्वा, धनिया और दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए।

माता सरस्वती का ऐसे ध्यान करें कि जो माता अपने हाथों में घंटा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं। चन्द्र के समान जिनकी मनोहर कांति है और वीणा जिनका वाद्य यंत्र है। ऐसी भगवती सरस्वती प्रसन्न हों। इसके बाद बही खातों को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करना चाहिए।

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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