रहस्य अमावस का | अमावस्या दिन नहीं करने चाहिए यह काम | क्या अमावस के दिन दूसरे घर का अन्न ग्रहण करें

रहस्य अमावस का | अमावस्या दिन नहीं करने चाहिए यह काम | क्या अमावस के दिन दूसरे घर का अन्न ग्रहण करें

1/6अमावस्‍या से जुड़े खास नियम

हिंदू पंचांग के अनुसार धार्मिक महत्‍व से जुड़ी जितनी भी तिथियां होती हैं, सभी को लेकर कुछ विशेष नियम होते हैं। धर्म में आस्‍था रखने वाले हर व्‍यक्ति के लिए इन बातों को मानना जरूरी होता है। इन तिथियों में अमावस्‍या, पूर्णिमा, द्वादशी, त्रयोदशी, एकादशी प्रमुख मानी जाती हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं अमावस्‍या के बारे में। अमावस्‍या की तिथि मुख्‍य रूप से पितरों को समर्पित मानी जाती है और इस तिथि को लेकर कुछ नियम होते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि अमावस्‍या पर आपको किन चीजों को घर नहीं लाना चाहिए।

2/6झाड़

अमावस्या का दिन पितरों का दिन माना जाता है। इस दिन का स्वामी शनि महाराज को भी माना गया है। जबकि शास्त्रों में देवी लक्ष्मी से झाड़ू का संबंध बताया गया है। लोक मान्यता है कि अमावस्या तिथि को झाड़ू घर लाने से लक्ष्मी देवी नाराज होती हैं, घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से धन गैर जरूरी चीजों में और रोगों में अधिक खर्च होने लगता है। ऐसे में बरकत चली जाती है। इसलिए अमावस्या तिथि को झाड़ू की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।

3/6आटा

लोक मान्यता है कि गेहूं और आटा इन्हें अमावस्या तिथि पर घर में नहीं लाना चाहिए। विशेष रूप से भाद्र मास की अमावस्या तिथि के दिन इस नियम का पालन करना चाहिए। इस दिन आटा गेहूं की खरीदारी पितरों के निमित्त मानी जाती है। कहते हैं यह अन्न खाने से खाया हुआ अन्न पितरों को प्राप्त हो जाता है।

4/6तेल ना लगाएं

इस तरह की मान्यता है कि अमावस्या के दिन तेल नहीं लगाना चाहिए। इसी तरह से संक्रांति के दिन भी तेल लगाना शुभ नहीं माना जाता है। अमावस्या को तेल का दान करना शनि के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है और शनि दोष को दूर करता है। अमावस्या तिथि पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का भी दिन माना गया है, ऐसे में सात्विक भाव को बनाए रखने के लिए ऋंगार और तेल ना लगाने की मान्यता है। एक मत यह भी है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा का फेज यानी पक्ष परिवर्तन होता है और संक्रांति के दिन सूर्य की स्थिति बदलती है। इसलिए भी सकारात्मकता को बनाए रखने के लिए तेल ना लगाने और सात्विक भाव बनाए रखने की बात कही जाती है।

5/6शुभ कार्यों के लिए पूजन सामग्र

अमावस्या तिथि को पितृ कर्म के लिए उपयुक्त माना गया है। इसलिए इस दिन देव कर्म के लिए पूजन सामग्री घर लाने को भी शुभ फलदायी नहीं कहा जाता है। अमावस्या तिथि को पितृ कार्यों के लिए सामग्री घर लाना और दान करना शुभ फलदायी होता है।

6/6मांस मदिरा


अमावस्या और पूर्णिमा पितृ और देव कार्य के लिए मान्य है। ऐसे में इन दिनों में मांस मदिरा सेवन से परहेज रखने के लिए शास्त्रों में कहा गया है। अमावस्या का संबंध शनि से होने की वजह से इस दिन इनका सेवन शनि के अशुभ प्रभाव में इजाफा करता है। लाल किताब में कहा भी गया है कि इस दिन मांस मदिरा सेवन से शनि जनित कष्टों में वृद्धि होती है।

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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