शिवजी को कभी भी ऐसा बेलपत्र न चढ़ाएं, लगता है दोष

1/6शिवजी को कभी भी ऐसा बेलपत्र न चढ़ाएं, लगता है दोष
भगवान शिव को जो चीजें सबसे प्रिय होती हैं, बेलपत्र का स्थान उसमें सर्वप्रथम है। शिवजी की पूजा में बेलपत्र चढ़ाना सबसे जरूरी होता है। लेकिन बेलपत्र को चढ़ाने में कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। आज हम इन्हीं सावधानियों और बेलपत्र के संबंध में जरूरी बातों को आपको बताने जा रहे हैं।
2/6ऐसा होना चाहिए बेलपत्र
कई बार देखने में आता है कि बेलपत्र एक, 3 या फिर 5 पत्र वाला भी होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि बेलपत्र जितने अधिक पत्र वाला होता है उतना ही अच्छा होता है। इसलिए शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने में कम से कम यह 3 पत्र वाला होना चाहिए। जब यह 3 पत्र पूरे होते हैं तो इसे एक बेलपत्र माना जाता है।
3/6बेलपत्र पर नहीं होनी चाहिए धारियां
शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र चुनते वक्त यह देख लें कि बेलपत्र पर अधिक धारियां नहीं होनी चाहिए। बेलपत्र के बहुत से पत्तों पर चक्र और धारियां होती हैं जिन्हें पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। कहते हैं चक्र और वज्र वाले बेलपत्र को खंडित माना जाता है।
4/6कटा-फटा न हो बेलपत्र
महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए छांटते वक्त यह देख लें कि बेलपत्र कहीं से भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए। अगर आप अधिक बेलपत्र नहीं जुटा पाए हैं तो एक बेलपत्र से भी काम चला सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि यह कहीं से भी कटा फटा नहीं होना चाहिए।
5/6इस तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाएं बेलपत्र
बेलपत्र चढ़ाने में एक बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र का जो भाग चिकना हो उसी भाग को शिवलिंग के ऊपर रखना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि अगर आपके पास बेलपत्र अधिक नहीं हैं तो एक आप एक ही बेलपत्र को पानी से धोकर बार-बार चढ़ा सकते हैं। कभी भी शिवलिंग पर बिना जल चढ़ाए बेलपत्र न चढ़ाएं।
6/6इस दिन न तोड़ें बेलपत्र
शास्त्रों में बेलपत्र को तोड़ने को लेकर यह नियम बताया गया है कि कभी भी बेलपत्र सोमवार या फिर चतुर्दशी को नहीं तोड़ना चाहिए। आपको बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि मंगलवार की पड़ रही है तो इस बार आपको रविवार को ही बेलपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए, क्योंकि अगले दिन सोमवार है और उसके अगले दिन चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि है। कहते हैं कि सोमवार और चतुर्दशी तिथि को बेलपत्र तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ाने वाले से शिवजी अप्रसन्न होते हैं।
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]