श्री कृष्ण ने कहा है सबसे बड़ा पाप है यह, सजा है भयानक

शास्त्रों पुराणों में बताया गया है कि मनुष्य धरती पर रहकर जो भी अच्छे या बुरे कर्म करते हैं उन सभी कर्मों का लेखा-जोखा मृत्यु के बाद होता है और उसके अनुसार सजा और पुनर्जन्म मिलता है। ईश्वर की दृष्टि में जो अच्छे कार्म यानी आपके काम होते हैं उसे पुण्य कहा जाता है और जो बुरे कर्म होते हैं उन्हें पाप कहा जाता है।
पुराणों में कई अच्छे और बुरे कार्मों के बारे में बताया गया है। गरूड़ पुराण और कठोपनिषद् में तो यह भी बताय गया है कि मनुष्य को अपने पाप कर्मों के कारण मृत्यु के बाद अलग-अलग तरह के पापों के लिए कौन-कौन सी अलग सजाएं दी जाती हैं।
गरुड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि मनुष्य धरती पर जो कुछ भी पाप करता है उन सभी पापों की अलग-अलग सजा बारी-बारी से मिलती है। यम के न्याय में किसी भी पाप की सजा से बचा नहीं जा सकता है।
कामी व्यक्ति के लिए ऐसी है सजा
गरूण पुराण में बताया गया है कि परस्त्री पुरूष संबंध रखने वाले को लोहे के गर्म सलाखों को आलिंगन करवाया जाता है। जो पुरूष अपने गोत्र की स्त्री से संबंध बनाता है उसे नर्क की यतना भोगकर लकड़बघ्घा अथवा शाही के रूप में जन्म लेना पड़ता है।
कुंवारी अथवा अल्पायु कन्या से संबंध बनाने वाले को नर्क की घोर यातना सहने के बाद अजगर योनी में आकर जन्म लेना पड़ता है। जो व्यक्ति काम भावना से पीड़ित होकर गुरू की पत्नी का मान भंग करता है ऐसा व्यक्ति वर्षों तक नर्क की यातना सहने के बाद गिरगिट की योनी में जन्म लेता है।
मित्र के साथ विश्वासघात करके उसके पत्नी से संबंध बनाने वाले को यमराज गधा की योनी में जन्म देते हैं। लेकिन व्यभिचार और धोखा देने से भी बड़ा एक पाप है जिसकी सजा कठोर है। महाभारत के समय एक व्यक्ति ने ऐसा पाप किया था लेकिन आज कल बहुत से लोग ऐसे पाप करने लगे हैं जानिए वह पाप क्या है और इसकी सजा क्या है।
कृष्ण की दृष्टि से यह है सबसे बड़ा पाप
भगवान श्री कृष्ण ने दृष्टि में जो सबसे बड़ा पाप है वह है भ्रूण हत्या। महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद जब द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे बालक परीक्षित पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके उसकी हत्या कर दी तब भगवान श्री कृष्ण सबसे अधिक क्रोधित हुए थ।
श्री कृष्ण ने उस समय समय ही यह घोषणा कर दी थी कि अश्वत्थामा का पाप सबसे बड़ा पाप है क्योंकि उसने एक अजन्मे बालक की हत्या की थी। श्री कृष्ण ने इस पाप की सजा स्वयं अश्वत्थामा को दी थी।
श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा के सिर पर लगा चिंतामणि रत्न छीन लिया और शाप दिया कि तुमने जन्म तो देखा है लेकिन मृत्यु को नहीं देख पाओगे यानी जब तक सृष्टि रहेगी तुम धरती पर जीवित रहोगे और कष्ट प्राप्त करोगे।
भ्रूण की हत्या करने वाले के लिए सबसे कठोर सजा निर्धारित है और ऐसे व्यक्ति को कई युगों तक इस सजा का दंड भुगतना पड़ता है।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)