यमलोक जाने का रास्ता और क्या-क्या होता है इस यात्रा में ?

यमलोक जाने का रास्ता और क्या-क्या होता है इस यात्रा में  ?

सनातन धर्म में परलोक, स्वर्ग, नरक, यमलोक की मान्यताएं हैं। इन लोकों का विवरण हिंदू धर्मग्रंथों में भी मिलता है। गरुड़ पुराण में यमलोक का विस्तार से वर्णन किया गया है, साथ ही जीवात्मा की यात्रा के बारे में बताया गया है। यहां जानें, कैसा है यमलोक जाने का रास्ता और क्या-क्या होता है इस यात्रा में…

1. स्वर्ग और नरक की मान्यता
ऐसा माना जाता है कि कर्मों के आधार पर यह निर्णय होता है कि कौन स्वर्ग जाएगा और कौन नरक। दुनिया में मानव जीवन में रहकर अच्छे कर्म करनेवाले लोग स्वर्ग जाते हैं और बुरे कर्म, दूसरों के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले लोग नरक भोगते हैं।

2. ऐसे निकलते हैं मनुष्य के प्राण
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मनुष्य के प्राण भी उसके कर्मों के आधार पर निकलते हैं। यदि व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए होते हैं तो उसके प्राण आंख या मुख से निकलते हैं और यदि वह पापकर्मी रहा है तो उसके प्राण शरीर के निचले हिस्से से निकलते हैं।

3. ऐसे दिखते हैं यमदूत
गरुड़ पुराण के अनुसार, जिस व्यक्ति की मृत्यु होनेवाली होती है, उसे लेने यमदूत आते हैं। ये यमदूत देखने में बहुत भयानक होते हैं। एकदम काले खुले बाल, क्रोध से भरी लाल आंखें, दांतों से निकलती कट-कट की ध्वनि और भयानक मुख। इनके हाथ में पाशदंड होता है, जिससे ये जीवात्मा को बांधते हैं।

4. इतनी दूर है पृथ्वी से यमलोक
गुरुड़ पुराण के अनुसार, पृथ्वी से यमलोक की दूरी 99 हजार योजन दूर है। (योजन दूरी को नापने की एक वैदिक इकाई है। एक योजन करीब 14 किलोमीटर का माना जाता है।) एक बार यमलोक ले जाने के बाद यमदूत वापस उस जीवात्मा को लेकर उसके घर आते हैं।

5. यमराज इसलिए भेजते हैं आत्मा को वापस
यमराज अपने दूतों को आदेश देते हैं कि वह जीवात्मा को वापस उसके घर पृथ्वी लोक पर लेकर जाएं। यहां आने के बाद जीवात्मा अपने शरीर को मृत पड़ा हुआ देखती है और परिजनों को विलाप करते हुए देखती है। जीवात्मा अपने शरीर में फिर से प्रवेश करने का प्रयास करती है। लेकिन असफल रहती है। यमदेव घर-परिवार से उसका मोहभंग करने के लिए और नई यात्रा की तैयारी के लिए फिर से धरती पर भेजते हैं।

6. इनको नहीं मिलती पिंडदान से तृप्ति
अच्छे कर्म करनेवाले मनुष्य को मृत्यु के बाद उसके परिजनों द्वारा किए गए दान-पिंड की प्राप्ति होती है। जिससे तृप्त होकर वह फिर से यमदूतों के साथ यमलोक चला जाता है। लेकिन पापी मनुष्यों को इस पिंड दान की प्राप्ति नहीं होती और वह भूख-प्यास से बिलखता है और यमदूतों की मार खाता हुआ, तड़पता हुआ यमलोक को वापस जाता है।

7. यममार्ग में कई भयंकर गांव
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के 13 वें दिन पिंड से तैयार सूक्ष्म शरीर को लेकर यमदूत यमलोक लेकर आते हैं इस मार्ग में कई गांव हैं जिनमें पाप कर्म करने वलों को अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। मार्ग में कई सूर्य एक साथ चमकते नजर आते हैं जिससे जीवात्मा का शरीर जलता रहता है। इस मार्ग में तलवार के समान पत्तों वाले वृक्ष और खाई हैं जिनमें कष्ट भोगता हुआ जीवात्मा यम के दरबार में पहुंचता है।

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)

[ डि‍सक्‍लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. The Hindu Media वेबसाइट या पेज अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

kavya krishna

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *